कृषि वैज्ञानिक को फसल वैज्ञानिक भी कहा जाता है। यह विभिन्न प्रकार के प्रयोगों और आधुनिक तरीकों के द्वारा खाद्य फसलों में सुधार लाने के लिए काम करता है। कृषि वैज्ञानिक के पास कॅरियर के कई विकल्प होते हैं, लेकिन मुख्य रूप से उनका एक ही काम है- भोजन की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाना ताकि देश के लोगों को गुणवत्तापूर्ण भोजन किफायती दामों पर उपलब्ध हो सके। ये अध्यापक, कृषि कारोबारी, कंसल्टेंट, अनुसंधानकर्ता हो सकते हैं। ये अक्सर खेतों, फार्म, कृषि प्रयोगशालाओं और मिलों में अपना काम करते हैं।
स्किल्स
कृषि वैज्ञानिक कृषि पृष्ठभूमि से जुड़ा हो। उसे फसल उत्पादन के बारे में विशेष जानकारी हो। अनुसंधान एवं नई खोजों के लिए उसका विश्लेषणात्मक कौशल अच्छा हो। उसमें प्रशासनिक कौशल, रचनात्मकता, संचार कौशल, धैर्य, टीम में काम करने की क्षमता हो।
कृषि विज्ञान का दायरा
वे छात्र जो कृषि विज्ञान में कॅरियर बनाना चाहते हैं, वे कृषि में बीएससी से शुरुआत कर सकते हैं और इसके बाद एमएससी एग्रोनोमी कर सकते हैं। एमएससी एग्रोनामी में छात्रों को अपने चुने गए अनुसंधान क्षेत्रों पर कई थीसीस पूरी करनी होती है। इसके बाद वे एग्रोनोमिस्ट, एग्रीकल्चर साइंटिस्ट, क्रॉप प्रोडक्शन स्पेशलिस्ट, क्रॉप साइंटिस्ट, लैब टेक्नीशियन, असिस्टेंट प्रोफेसेर, रिसर्च फैलो, फार्म असोसिएट, फार्म मैनेजर आदि के रूप में काम कर सकते हैं। इस फील्ड में पीएचडी करने के बाद ज्यादा वेतन वाली नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
शैक्षणिक योग्यता
विज्ञान और गणित में समझ अच्छी होनी चाहिए। फसलों से जुड़े विषयों जैसे आनुवंशिकी, बायोकैमिस्ट्री, प्लांट फिजियोलोजी, एंटोमोलोजी, सॉयल फर्टीलिटी आदि विषय पढऩे चाहिए। बारहवीं पास छात्र के पास कृषि, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित, भौतिकी, सांख्यिकी जैसे विषय होने चाहिए।
नौकरी की संभावनाएं
इस क्षेत्र से जुड़े सभी सेक्टर्स जैसे अनुसंधान, उत्पाद, कंसल्टिंग, मैनेजमेन्ट, बिजनेस एजुकेशन, सरकारी क्षेत्रों, विकास एवं अंतरराष्ट्रीय सहायता आदि में नौकरियों की काफी संभावनाएं हैं। वे बीज कंपनियों में जिला सेल्स मैनेजर, बड़ी कंपनियों में क्रॉप कंसल्टेंट, कमोडिटी ट्रेडर, मिट्टी वैज्ञानिक, एन्वायर्नमेंटल कंसल्टेंट, उत्पादन विशेषज्ञ और फार्म मैनेजर की नौकरी कर सकते हैं।
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