जब कॅरियर के रूप में टीचिंग को लेने की बात आती है, तो इस मामले में भारतीय सबसे ज्यादा सकारात्मक होतेे हैं। यह बात ही में किए गए एक अध्ययन में कही गई है। ब्रिटेन स्थित वार्की फाउंडेशन की ओर से किए गए अध्ययन Global Teacher Status Index (GTSI) 2018 को गुरुवार को जारी किया गया था। शिक्षकों को किस रूप में देखा जाता है, इस बात को लेकर यह अध्ययन दुनिया के 35 देशों में किया गया था। अध्ययन में पाया गया कि 54 प्रतिशत भारतीय चाहते हैं कि उनके बच्चे टीचिंग को कॅरियर के रूप में अपनाएं।
भारत के बाद चीन का नंबर आता है जहां 50 प्रतिशत माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे टीचर बनें। सर्वे के अनुसार, तुलनात्मक रूप से एक चौथाई (23 प्रतिशत) ब्रिटिश माता-पिता अपने बच्चों को टीचर बनने के लिए प्रेरित करते हैं, जबकि महज 6 प्रतिशत रूसी माता-पिता अपने बच्चों को टीचर बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। सर्वे में शामिल देशों में यह सबसे कम प्रतिशत है। कुल मिलाकर, इस सर्वे में शामिल 35 देशों में भारत का स्थान आठवां है। चीन पहले स्थान पर है, जबकि ब्राजील को सबसे निचले पायदान पर रखा गया है।
हालांकि, 2013 की रिपोर्ट में चीन को पहले स्थान पर रखा गया था। उस समय भारत को इस सर्वे में शामिल नहीं किया गया था। जहां तक शिक्षकों का सम्मान करने की बात आती है तो सर्वे में पहला स्थान यूगांडा को दिया गया है, जबकि दूसरा और तीसरा स्थान क्रमश: भारत और घाना को दिया गया है।
सर्वे में शामिल भारतीयों (77 प्रतिशत) ने माना कि बच्चे अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं, जबकि चीन इस मामले में (81 प्रतिशत) और यूगांडा (79 प्रतिशत) भारत से आगे हैं। इसके विपरीत, ब्राजील में केवल 9 प्रतिशत लोग समझते हैं कि स्टुडेंट्स अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं। सर्वे में शामिल 35 देशों में यह सबसे कम प्रतिशत है।
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