राज्य सरकार राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में सदस्य का एक नया पद सृजित करना चाहती है। आचार संहिता के बावजूद कार्मिक विभाग ने नियमों में संशोधन के लिए फाइल भी चला दी, जिस पर सोमवार को मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने ब्रेक लगा दिया।
आरपीएससी में अध्यक्ष के अलावा सदस्यों के सात पद हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय आरपीएससी में एक नया पद और सृजित करवाना चाहता है। इसके लिए आरपीएससी (सेवा की शर्तें) विनियम 1974 के विनियम 3 (1) में संशोधन आवश्यक है। कार्मिक विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार किया और मुख्यमंत्री से इसका प्रशासनिक अनुमोदन भी करा लिया। इसके अलावा वित्त विभाग से स्वीकृति भी जारी कर दी गई। वहीं विधि विभाग ने इसकी अधिसूचना के प्रारूप का परीक्षण भी कर लिया।
इसके बाद 11 अक्टूबर को कार्मिक विभाग के संयुक्त सचिव सुनील कुमार ने नियम में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया। 12 अक्टूबर को कार्मिक विभाग सचिव भास्कर ए सावंत प्रस्ताव को कैबिनेट सचिवालय भेजने की स्वीकृति दे दी। इस प्रस्ताव में कैबिनेट सचिवालय से पूछा गया कि आचार संहिता में मंत्रिमंडल की बैठक नहीं होने की स्थिति में क्या मुख्यमंत्री के अनुमोदन से निर्णय लेकर नियम में संशोधन किया जा सकता है? कैबिनेट सचिवालय ने इसे नीतिगत फैसला मानते हुए आचार संहिता का उल्लंघन बताया और इस फाइल को मुख्य सचिव डीबी गुप्ता के पास भेज दिया। मुख्य सचिव ने इस फाइल को रोक दिया और कार्मिक विभाग को प्रस्ताव लौटा दिया।
पहले से खाली चल रहा एक पद
वर्तमान में आरपीएससी में सदस्यों के सात पद में से एक पद खाली है। ऐसे में सवाल यह भी है कि सरकार सदस्य का एक और पद क्यों सृजित करवाना चाहती है?
आखिर ऐसा किया क्यों?
कार्मिक विभाग अन्य विभागों के लिए नियम-कायदे बनाता है और वहां बैठे अफसरों को आचार संहिता का अच्छा खासा ज्ञान है। इसके बावजूद कार्मिक विभाग से इस तरह का प्रस्ताव तैयार होकर मंजूरी के लिए भेजना अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है। सूत्रों का यह भी कहना है कि सीएमओ से यह प्रस्ताव आचार संहिता लगने से पहले सितम्बर में ही अनुमोदित हो गया था। कार्मिक विभाग समय पर प्रस्ताव को भेज नहीं सका, जिसके चलते यह स्थिति बनी है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2OIy7yQ
No comments:
Post a Comment