कोरोना महामारी के चलते राजस्व घटने से कंपनियों की व्यावसायिक उत्पादकता भले ही कम हो गई हो परन्तु कर्मचारियों की व्यक्तिगत उत्पादकता तेजी से बढ़ी है। यह खुलासा हुआ डेलॉयट इंडिया के एक सर्वे में, जिसमें 42 भारतीय कंपनियों का अध्ययन किया गया। इसके अनुसार देश की 60 प्रतिशत कंपनियों ने कर्मचारियों की व्यक्तिगत उत्पादकता में वृद्धि दर्ज की। हालांकि 99 फीसदी कंपनियों की उत्पादकता में कमी आई है। इनमें 10 प्रतिशत ने कहा कि व्यक्तिगत उत्पादकता में कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
भौतिक व डिजिटल कार्यक्षेत्र का संयोजन
डेलॉयट इंडिया का कहना है कि 'वर्क फ्रॉम होम' में बढ़ोतरी के चलते कंपनियों को कार्यबल पर ध्यान देना होगा। भौतिक कार्यक्षेत्र, डिजिटल कार्यक्षेत्रों का संयोजना करना होगा। इसे नाम दिया गया है 'फिजिटल कार्यक्षेत्र'। यानि फिजिकल व डिजिटल कार्यक्षेत्रों के संयोजन से उत्पन्न नया कार्यक्षेत्र।
कर्मचारियों की चिंता जरूरी
डेलॉयटल के अनुसार वर्क फ्रॉम होम से कंपनियों की बचत हो सकती है, लेकिन जिम्मेदार मैनेजमेंट को कुछ चिंता करना जरूरी है जैसे जरूरी नहीं कि शुरूआती कर्मचारियों (जिन्हें कम सैलेरी मिलती है) के घरों पर ब्रॉडबैंड कनेक्शन हों या उन्हें सब्सिडी वाला भोजन मिलता हो। कंपनियों को इन जरूरतों के अनुसार लाभ व भत्ते विकसित करने होंगे।
बहुत ज्यादा प्रयास से हो रहा उत्पादन
सर्वे के अनुसार कोरोना के दौर में कंपनियां भले ही कुछ नतीजे दे रही हों, मगर उत्पाद की हर इकाई के उत्पादन में पहले के मुकाबले ज्यादा प्रयास करने पड़ रहे हैं। वह भी तब जब लॉकडाउन के चलते कर्मचारियों को आने-जाने में लगने वाला समय कम खर्च करना पड़ रहा है।
कर्मचारियों की चुस्ती से हैरान सीईओ
सर्वे के दौरान कई सीईओ और सीएफओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) संगठन व कर्मचारियों की चुस्ती से हैरान थे। उन्हे आश्चर्य था कि कितनी आसानी से भी फैसले लिए जा सकते हैं। कॉर्डिनेशन के लिए जूम जैसे प्लेटफॉर्म्स के आसान इस्तेमाल से भी ज्यादातर सीईओ हैरान दिखें।
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