सरकार ने उन रिपोर्टों को गलत बताया है जिनमें कहा गया है कि अगर किसी कार्यालय के कर्मचारी को कोरोना वायरस होता है तो उस ऑफिस को सील कर दिया जाएगा और उनके मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सजा दी जाएगी।
कोरोना केस मिलने पर पूरी ऑफिस बिल्डिंग को सील नहीं किया जाएगा या उसे कंटेनमेंट जोन घोषित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय कोरोना पॉजिटिव पाए गए कर्मचारी के संपर्क में आए लोगों को क्वॉरंटीन किया जाएगा। ऐसा करने से कंपनी की उत्पादकता पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) अब पूल परीक्षण जैसे रोकथाम और अन्य उपायों पर विचार कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में कोविड 19 पर बनी टेक्निकल कमेटी ने सुझाव दिया है कि संक्रमित कार्यस्थल को लंबे समय तक सील करने के बजाय उसे सैनिटाइज किया जा सकता है और 12 घंटे बाद उसका उपयोग शुरू किया जा सकता है।
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