कंपनियों को अपने एम्प्लॉइज को रिस्क लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। कइयों का मानना है कि अगर एम्प्लॉइज रिस्क नहीं ले रहे हैं तो शायद वे पूरी शक्ति के साथ काम नहीं कर रहे हैं। जानते हैं कि कंपनी का मैनेजर किस तरह से अपने एम्प्लॉइज को रिस्क लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
उदाहरण पेश करे
आमतौर पर इनोवेटिव आउटकम्स के लिए मैनेजर्स को रिस्की डिसीजन लेने ही पड़ते हैं। टीम मेंबर्स को इसमें शामिल करना चाहिए। अगर वर्कप्लेस पर मैनेजर खुद रिस्क लेगा तो उसकी टीम के सदस्य भी रिस्क लेने के लिए प्रेरित होंगे। बतौर मैनेजर रिस्क लेने की प्रक्रिया सबको समझाएं।
रिजेक्शन का सामना करें
विशेषज्ञों के मुताबिक टीम लीडर को किसी भी आइडिया को रिजेक्ट करने के बारे में स्पष्ट बताना चाहिए। अगर मैनेजर किसी आइडिया को मना करना चाहता है तो उसे दो पेज की थिसीस में समझाना चाहिए कि आखिर वह आइडिया खराब किस तरह से है। इस तरह टीम मेंबर बात को समझ पाएंगे।
विचारों के प्रति खुलापन
अगर आप अपने टीम मेंबर्स के दिए गए सुझावों के लिए हां करते हैं तो इससे प्रयोगों को बढ़ावा मिलेगा और कंपनी का एक खास कल्चर विकसित होगा। फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग कहते हैं कि सबसे बड़ी रिस्क है- कोई रिस्क न लेना। इसलिए अपने जीवन में रिस्क लेना शुरू करें।
सही प्लेटफॉर्म चुनें
आपको कंपनी में एम्प्लॉइज के नए इनीशिएटिव्स के लिए एक फॉर्मल प्लेटफॉर्म तैयार करना चाहिए। इससे एम्प्लॉइज में नए विचारों के प्रति आत्मविश्वास पैदा होता है। यह प्लेटफॉर्म ऐसा होना चाहिए, जहां हर एम्प्लॉई अपने मन की बात को खुलकर सामने रख सके। इस प्लेटफॉर्म पर बॉस-जूनियर का कल्चर मौजूद नहीं होना चाहिए, बल्कि आइडियाज को महत्व मिलना चाहिए।
प्रोएक्टिव बनें
मैनेजर को माइक्रो मैनेजमेंट से बचना चाहिए। एम्प्लॉइज को हर चीज के बारे में बताने से बचना चाहिए। उन्हें खुद निर्णय लेने की इजाजत देनी चाहिए। उनके लिए गए निर्णयों को बार-बार चेक न करते रहें। मैनेजर्स को टीम को एक्सपेरिमेंट करने की छूट देनी चाहिए। कंपनी में सही फीडबैक का कल्चर भी विकसित करना चाहिए। इससे रिस्क लेने वाले एम्प्लॉइज को मोटिवेशन मिलता है और वे लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर पाते हैं।
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