Saturday, August 18, 2018

आखिर क्यों बड़े पदों पर कम है महिलाओं की गिनती?

दुनिया की बड़ी कंपनियों में महिला मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) की संख्या कम क्यों है? हाल ही सीईओ पद से इस्तीफा देने वाली पेप्सीको की सीईओ इंदिरा नूई ने कामकाज भरी जिंदगी में संतुलन और कुछ चुनौतियों को परेशानी का कारण माना है। मुद्दा ये है कि अधिकतर महिलाएं एंट्री लेवल से शुरुआत करती हैं। अगर प्रबंधन में मध्यम स्तर से नौकरी का मौका मिले तो बड़े पदों पर महिलाओं का पहुंचना आसान हो सकता है। जब बच्चे हो जाते हैं तो नौकरी और परिवार की जिम्मेदारियों के साथ संतुलन बनाना थोड़ा कठिन होता है। बहुत अधिक क्षमता की जरूरत होती है जिससे आप कंपनी के लिए प्रदर्शन कर सकें। उस मुकाम पर पहुंचे जो कामयाबी के साथ पिरामिड की तरह होता है क्योंकि जितना आगे बढ़ेंगे चुनौतियां बढ़ती जाएंगी। समाधान हमें ही निकालना होगा।

नूई इन सब बातों से पूरी तरह वाकिफ हैं। पेप्सीको के सीईओ पद से अक्टूबर में नौकरी छोडऩे के ऐलान के बाद अब अमरीका की ५०० बड़ी कंपनियों में केवल २४ महिलाएं ही रह गई हैं जो उनका नेतृत्व कर रही हैं। (कैथी वार्डेन जनवरी २०१९ में इस कड़ी में जुड़ जाएंगी जब वे नॉर्थरॉव ग्रुममैन कंपनी के सीईओ की जिम्मेदारी संभालेंगी) नूई के जाने से साबित हो गया है कि अब चुनिंदा महिलाएं ही है जो विदेशी धरती पर बड़ी कंपनी में महिला लीडर के तौर पर नेतृत्त्व कर रही हैं। एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेस की सीईओ की जिम्मेदारी लिसा सू ने संभाली जिनका जन्म ताइवान में हुआ था और पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि लोगों को महिलाओं के लिए वकालत करनी होगी ताकि वे भावनात्मक रूप से मजबूत हो सकें। कॉरपोरेट लीडर को लेकर विदेशी कंपनियों में श्वेत वर्ण पुरुष (पश्चिमी देशों के) उनके पक्ष में धारणाएं हैं। महिलाएं जो बाहर की हैं उन्हें कॉरपोरेट में बड़े पद पर बैठाने से पहले कई तरह के बिंदुओं पर काफी समय तक मंथन करते हैं।

महिला सीईओ से दूरी

सेंटर फॉर टैलेंट इनोवेशन रिसर्च की रिपोर्ट में बताया है कि अफ्रीकी अमरीकी महिलाएं जिन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया था वे अल्पसंख्यक महिलाओं की तरह सोचती हैं। उनका मानना है कि जितना मेहनत वे करती हैं उसका फायदा पुरुष साथियों को मिलता है। मिशिगन यूनिवर्सिटी में हुए शोध में पाया गया कि जब किसी महिला सीईओ की नियुक्ति होती है तो पुरुष कर्मचारी उनसे जान पहचान बनाने में भी अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं।



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