इलाहाबाद उच्च न्यायालय (High Court) की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के 68 हजार 500 शिक्षक भर्ती मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराए जाने के एकल पीठ के आदेश को रद्द करते हुए राज्य सरकार की विशेष अपील को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में ऐसी कोई वजह या सामग्री नहीं दिखाई देती जिसकी वजह से सीबीआई से जांच कराई जाए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में एकल पीठ द्वारा सीबीआई जांच का आदेश दिया जाना उचित नहीं है। कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट में सुनवाई के समय राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अपील पर महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने कहा था कि मामले में ऐसा कोई पर्याप्त आधार नहीं था जिसकी वजह से मामला जांच के लिए सीबीआई को दिया जाए। यह भी कहा कि कोई तर्क संगत तत्व एवं कारण नहीं था। राज्य सरकार की ओर से गत एक नवम्बर को एकल पीठ द्वारा दिए गए सीबीआई जांच के आदेश को डिवीजन बेंच के सामने चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार स्वयं इस मामले में जांच कराई थी। कहा गया कि एकल पीठ के आदेश को खारिज किया जाए।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने एकल पीठ के एक नवम्बर के उस आदेश को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में चुनौती दी थी, जिसमे एकल पीठ ने 68 हजार 500 शिक्षकों की भर्ती के मामले को सीबीआई से जांच करने को कहा था। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खण्डपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अपील को अंतिम रूप से स्वीकार करते हुए दिए हैं। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघुवेन्द्र सिंह द्वारा दायर विशेष अपील में एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए मांग की गई है कि गत एक नवम्बर को एकल पीठ द्वारा दिए गए आदेश को निरस्त किया जाए, क्योंकि इस मामले में राज्य सरकार स्वयं कारवाई कर रही है।
यह मामला प्रदेश में हो रही 68500 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। याची ने याचिका दायर कर कहा था कि उसने जब उत्तर पुस्तिका से मिलान किया तो पाया कि उसको कम अंक दिए गए हैं। सुनवाई के समय यह बात प्रकाश में आई थी कि उत्तर पुस्तिका की बार कोडिंग में भिन्नता है। इस मामले में कोर्ट ने सरकार से कहा था कि जांच कराए। राज्य सरकार ने जांच भी कराई थी। सुनवाई के समय बताया गया था कि कई उत्तर पुस्तिकाओ में कुछ गड़बडिय़ां पाई गई हैं। गत एक नवम्बर को कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआई इस मामले की जांच छह माह में पूरी करे। इसी आदेश को डिवीजन बेंच के सामने चुनौती दी गई थी। पीठ ने पूरी सुनवाई के बाद सोमवार को अपना यह फैसला दिया है।
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