Saturday, September 21, 2019

2019 : ऐसा रहेगा देश का जॉब मार्केट

भारत में अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था है, लेकिन विकास की रफ्तार धीमी हो गई है, जो देश के लिए बहुत बड़ा झटका है क्योंकि इसके लिए हर साल लाखों लोगों को नौकरी के बाजार में रोजगार प्रदान करने कि लिए त्वरित वृद्धि की आवश्यकता है। क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का दुनिया में सातवां स्थान है, जनसंख्या के मामले में चीन के बाद दूसरा स्थान है देश का। विश्व बैंक ने 2018 में जारी रिपोर्ट में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था घोषित किया था। 2018-19 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 64.4 अरब डॉलर रहा था। जापान, दक्षिण कोरिया सहित विभिन्न देशों के साथ भारत के कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता है।

हालांकि, 2019 में अर्थव्यवस्था के धीमे रहने के चलते नौकरियों पर असर पड़ सकता है। देश में मंदी के चलते सबसे बड़ा संकट ऑटो सेक्टर पर है पड़ा है। वाहन कलपुर्जा बनाने से जुड़े उद्योग में 10 लाख नौकरियां जाने का संकट है। वहीं, कई कंपनियों के बंद होने से भी हजारों लोग घर बैठ गए हैं, यानि उनके पास कोई नौकरी नहीं है। गाडिय़ों की बिक्री में आई सुस्ती से भी कई शोरूम बंद हो गए हैं। यही नहीं, अमरीका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर से भी भारत की अर्थव्यवस्था और नौकरियों पर असर पड़ा है।

अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सुधार को लेकर कई घोषणाएं की थी। इनमें बजट में विदेशी और घरेलू इक्विटी निवेशकों पर लगाए टैक्स में कटौती जैसे कदम भी शामिल हैं। हालांकि, पिछले साल 2018 में हॉस्पिटेलीटी सेक्टर में लगातार तेजी देखी गई। वहीं, इंडिया स्किल रिपोर्ट 2019 के अनुसार, भले ही इस साल अर्थव्यवस्था में मंदी का असर रहेगा, लेकिन पिछले चार सालों के मुकाबले इस साल नौकरियों का पिटारा खुलेगा और लोगों को भर्ती की जाएगी। यही नहीं, लोगों की सैलेरी में भी बढ़ोतरी होगी।

रिपोर्ट के अनुसार, कुशल कामगारों की मांग बढ़ेगी और अगले तीन सालों में 109 मिलियन लोगों को नौकरी पर रखा जाएगा। वहीं, सूचना प्रौद्योगिकी सेक्टर में 2 लाख 50 हजार लोगों को नौकरी पर रखा जाएगा। हालांकि, 2017 और 2018 में इस सेक्टर में 56 हजार लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। 2017 में जनवरी-अप्रेल के बीच 15 लाख लोगों की नौकरियां चली गई थी। एक सर्वे के अनुसार, फरवरी 2018 में 31 मिलियन युवा बेरोजगार थे।

घटते हुए लाभ ने भी भारतीय आर्थिक विकास को धीमा किया है। कंपनियों का तिमाही मुनाफा उम्मीदों से कम रहा है और पिछले वर्षों की तुलना में गिरावट देखी गई है। एफएमसीजी उत्पादों के अलावा अन्य क्षेत्रों जैसे स्टील, फार्मास्यूटिकल्स आदि कंपनियों के मुनाफे में भारी गिरावट देखी गई है। जो, देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2V9ruVX

No comments:

Post a Comment