Agniveer petition: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अग्निवीरों के चयन के लिए परीक्षा के अंकों और मानदंडों का खुलासा करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार और सेना को नोटिस जारी किया है। यहां पिछले साल हुई अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए नौ याचिकाकर्ता 15 से 25 सितंबर के बीच हुई शारीरिक प्रवीणता परीक्षा और 13 नवंबर को हुई लिखित परीक्षा में असफल रहे थे। याचिका में ‘कट-ऑफ’ अंक, चयन प्रक्रिया के मानदंड, लिखित व शारीरिक प्रवीणता परीक्षा के अंक तथा इस भर्ती प्रक्रिया के दौरान अग्निवीर (जनरल ड्यूटी) और अग्निवीर (ट्रेड्समैन) के रूप में चयनित सभी उम्मीदवारों के नामों का खुलासा करने का अनुरोध किया गया है। इसके परिणाम 26 नवंबर को घोषित किये गये थे। याचिका में प्रतिवादी रक्षा सचिव के माध्यम से केंद्र सरकार और जबलपुर स्थित भारतीय सेना के भर्ती अधिकारियों को जवाब देना है। याचिका में आरोप लगाया गया है की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।
MP उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया
हाईकोर्ट ने अग्निवीर मामले में नोटिस जारी कर जबलपुर के भर्ती अधिकारियों और रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ताओं ने अग्निवीरों के चयन और नियुक्ति में गंभीर अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया है। इसलिए अग्निवीर मामले में हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जबलपुर के भर्ती अधिकारी और रक्षा मंत्रालय से जवाब तलब किया है। आप को बता दे अग्निवीर योजना पर पहले भी काफी विवाद खड़े हो चुके हैं। देश भर में इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन भी हुए थे और अब मामला कोर्ट तक पहुंच गया है।
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याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का रुख कर उनकी ‘ओएमआर शीट’ तथा लिखित परीक्षा में दिये गये अंकों का खुलासा करने का प्रतिवादियों को निर्देश देने का अनुरोध किया। याचिका में केंद्र सरकार को रक्षा सचिव और जबलपुर स्थित थल सेना के भर्ती अधिकारी मुख्यालय भर्ती क्षेत्र (मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़) के जरिये प्रतिवादी बनाया गया है।न्यायमूर्ति विशाल धगत की एकल पीठ ने नोटिस जारी किए हैं। चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता ना होने की वजह से नया विवाद खड़ा हो गया है
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