Sunday, September 16, 2018

रेलवे भर्ती परीक्षा - बुरी खबर, हाई कोर्ट ने इस मामले पर रेल मंत्रालय को दिया नोटिस

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने रेलवे में भर्ती के लिए कंप्यूटर आधारित भर्ती परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी गैर-कानूनी एवं मनमाने तरीके से एक निजी कंपनी को दिये जाने के मामले में केंद्र सरकार एवं रेलवे भर्ती नियंत्रण बोर्ड से जवाब तलब किये हैं। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव की खंडपीठ ने डॉ़. शैलेन्द्र शर्मा की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए रेल मंत्रालय के जरिये केंद्र सरकार को, रेलवे भर्ती नियंत्रण बोर्ड और कंप्यूटर आधारित भर्ती परीक्षा संचालन कर रही निजी कंपनी टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है।

खंडपीठ ने जवाब के लिए तीनों प्रतिवादियों को चार सप्ताह का समय देते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख 10 दिसम्बर तय की है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि रेलवे भर्ती नियंत्रण बोर्ड ने ऐसे मामलों में ठेका दिये जाने को लेकर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के दिशानिर्देशों की अनदेखी की है और टीसीएस को बोली के आधार पर ठेका देने के बजाय 'नॉमिनेशन के आधार पर भर्ती परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि रेलवे भर्ती नियंत्रण बोर्ड ने कम्प्यूटर आधारित भर्ती परीक्षा संचालन एजेंसी के निर्धारण के लिए इस वर्ष छह फरवरी को निविदायें आमंत्रित की थी। बोर्ड ने 22 फरवरी को निविदा की तारीख बढ़ा दी थी। बाद में 25 जून 2018 को बगैर कोई कारण बताये इस निविदा को वापस ले लिया गया, तत्पश्चात् निजी कंपनी टीसीएस को नामांकन के आधार (नॉमिनेशन बेसिस) पर यह ठेका जारी कर दिया गया, जो सीवीसी के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।

उल्लेखनीय है कि सीवीसी ने पांच जुलाई 2007 को जारी एक आदेश में स्पष्ट किया है, यह बताने की जरूरत नहीं है कि सार्वजनिक नीलामी के लिए किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा निविदा प्रक्रिया अपनाना मौलिक जरूरत है। खासकर नॉमिनेशन बेसिस पर ठेका देना संविधान के अनुच्छेद 14 में प्रदत्त समानता के अधिकारों का उल्लंघन है। टीसीएस उस ठेके के आधार पर इन दिनों केंद्रीकृत नियोजन सूचना (सीईएन)-1 एवं 2 के लिए कंप्यूटर आधारित भर्ती परीक्षाएं आयोजित कर रही है। इस परीक्षा से होने वाली कमाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह फीस 500 रुपये रखी गयी थी और करीब दो करोड़ 37 लाख उम्मीदवारों ने आवदेन किये थे। इस दृष्टि से टीसीएस द्वारा इन दोनों परीक्षाओं से की जाने वाली कमाई सैकड़ों करोड़ रुपये है।

गौरतलब है कि रेल मंत्रालय ने 2015 में भी यह ठेका टीसीएस को नॉमिनेशन बेसिस पर दिया था। उस वक्त इलाहाबाद के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने भर्ती परीक्षा में धांधली का भंडाफोड़ किया था, जिसमें टीसीएस के कर्मचारी भी शामिल थे। डॉ. शर्मा की याचिका पर उच्च न्यायालय ने रेल मंत्रालय के रवैये पर सवाल खड़ा किया और इस मसले पर पारदर्शी नीति अपनाने की आवश्यकता जताई।



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