वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा में गणित विषय मे माइनस 23 अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति दिए जाने जैसे उदाहरण गिनाते हुए दायर एक जनहित याचिका पर गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। राजस्थान लोक सेवा आयोग ने कहा कि नियमों में न्यूनतम अंक का प्रावधान नहीं होने से ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की विवशता है, जबकि शिक्षा विभाग ने कहा कि अब सरकार से नियमों में अपेक्षित संशोधन किए जाने की अनुशंसा की गई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ में मनीषा शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि गणित जैसे कठिन विषय में आरक्षित श्रेणी के ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा रही है, जिन्होंने प्रतियोगी परीक्षा में माइनस अंक अर्जित किए हैं। ऐसे नियुक्तियां की जाती रही तो इससे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ होगा। उधर, हाईकोर्ट की खंडपीठ ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती-2018 में टीएसपी एसटी श्रेणी के अभ्यर्थियों को टीएसपी जनरल श्रेणी में नियुक्ति देने के एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी है।
खाली पदों पर कब तक होंगी नियुक्तियां
हाईकोर्ट ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार से पुलिस बेड़े में स्वीकृत और रिक्त पदों का ब्यौरा मांगते हुए भर्तियां सुनिश्चित करने की समय सीमा बताने के निर्देश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्वप्रेरणा से दर्ज जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता करणसिंह राजपुरोहित को शपथ पत्र पेश करने को कहा। खंडपीठ ने रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया की समय सीमा बताने के निर्देश देते हुए अधिवक्ता कुलदीप माथुर को न्याय मित्र नियुक्त किया है।
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