बीते एक दशक के दौरान इंडियन एग्रीकल्चर सेक्टर की ग्रोथ अस्थिर रही है। इसका कारण है कि एक बड़ी आबादी ख्ेाती को छोडक़र शहरों की ओर रुख कर रही है। परंपरागत कृषि तकनीक और महंगे होते संसाधन भी एग्रीकल्चर सेक्टर की परेशानी का कारण बने हैं लेकिन इंडियन एग्रीकल्चर सेक्टर के टेक्नोलॉजी में रुचि दिखाने से उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2025 तक एक बार दोबारा एग्रीकल्चर सेक्टर बूम करेगा। एग्रीटेक स्टार्टअप से लाभान्वित होने वाले इंडियन फॉर्मर की संख्या कुल संख्या का मात्र दो प्रतिशत ही है। इसलिए एग्रीकल्चर में टेक्नोलॉजी के जरिए बदलाव की अभी बहुत संभावनाएं हैं। इंडियन एग्रीकल्चर सेक्टर में जिन प्रमुख स्टार्टअप ने टेक्नोलॉजी के जरिए बदलाव की कोशिश की है वे यंग एंटरप्रेन्योर के लिए इंस्पिरेशन हैं कि कैसे इंडियन एग्रीकल्चर सेक्टर को आप कॅरियर के तौर पर अपना सकते हैं।
एग्रोस्टार
पुणे बेस्ड इस एग्रीटेक स्टार्टअप की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई। हाल ही इस स्टार्टअप में बर्टलसमैन इंडिया ने 27 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। एग्रोस्टार अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए कॉमर्स सर्विस के साथ टेक्नोलोजी बेस्ड फॉर्मिंग की सुविधा देता है। कंपनी का दावा है कि उसकी मोबाइल एप को एक मिलियन से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया है। कंपनी को अब तक 41 मिलियन डॉलर का निवेश मिला है। इस प्लेटफॉर्म से किसान सीड, न्यूट्रिएंट के साथ हार्डवेयर प्रोडेक्ट भी खरीद सकते हैं।
निंजाकार्ट
चार राज्यों के 6000 किसानों के साथ काम करने वाले निंजाकार्ट एग्रीटेक स्टार्टअप का मुख्य उददेश्य है ताजा फल और सब्जी कस्टमर तक कम से कम समय में पहुंचे। वर्ष 2015 में बेंगलूरु से इस स्टार्टअप की शुरुआत हुई थी। फ्रूट और वेजिटेबल फॉम्र्स के लिए टेक्नोलॉजी बेस्ड सर्विस चेन बनाने के साथ निंजाकार्ट ने किसानों के साथ सोशल कनेक्टिविटी भी डवलप की है। डिजिटल मॉडल से किसानों को सर्विस देने वाली निंजाकार्ट इस वर्ष के अंत तक देश के 12 शहरों तक अपनी सर्विस को ले जाना चाहती है।
क्रोफार्म
वर्ष 2016 में क्रोफार्म की शुरुआत दिल्ली से हुई थी। स्टार्टअप की सक्सेस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस स्टार्टअप में निवेश करने वालों में गूगल इंडिया के एमडी राजन आनंदन भी शामिल हंै। क्रोफार्म फ्रूट और वेजीटेबल उगाने वाले फॉम्र्स से उनकी क्रॉप खरीदकर ऑनलाइन व ऑफलाइन रिटेलर को बेचता है। उसके ग्राहकों में मेट्रो, जुबिलिएंट फूडवक्र्स, बिग बास्केट, बिग बाजार, ग्रोफर जैसी कंपनियां सम्मिलित हैं। क्रोफार्म से हजारों किसान और 300 से अधिक रिटेलर व होलसेलर जुड़े हुए हंै।
स्टेलएप्स
आ ईओटी टेक्नोलोजी के जरिए काम करने वाला बंगलुरु बेस्ड स्टार्टअप स्टेलएप्स डेयरी के क्षेत्र में काम करता है। डेयरी सेक्टर से जुड़े किसानों को अपग्रेड में मदद करने के साथ उन्हें डेयरी फॉर्म से जुड़ी नई टेक्नोलॉजी भी उपलब्ध कराता है। वर्ष 2011 में प्रारंभ हुए इस स्टार्टअप में वर्ष 2018 में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने 14 मिलियन डॉलर का निवेश किया था। इसके अलावा इंडसऐज पार्टनर, क्वालकॉम, ओमनीवोर, ब्लूम वेंचर, वेंचर हाइवे जैसे निवेशकों का भी इस स्टार्टअप को साथ मिला है।
ग्रामोफोन
इंदौर बेस्ड एग्रीटेक स्टार्टअप ग्रामोफोन की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी। आईआईटी ग्रेज्युएट निशांत वत्स और तौसीफ खान एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म डवलप करना चाहते थे जो कि किसानों के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन रहे। इसी आइडिया ने ग्रामोफोन को जन्म दिया। ग्रामोफोन टोल फ्री नंबर के जरिए किसानों को खेती से संबंधित सभी प्रकार के सॉल्यूशन उपलब्ध कराता है। यह कंपनी एमकॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए सीड्स, न्यूट्रिएंट्स, क्रॉप प्रोटेक्शन आदि प्रोडेक्ट भी उपलब्ध कराती है। कंपनी लगातार अपने कस्टमर बेस को बढ़ाने के प्रयास में है।
इंवेस्टर भी इस सेक्टर को लेकर पॉजीटिव
देश में करीब 158 मिलियन हेक्टेयर एग्रीकल्चर योग्य जमीन है। एग्रीकल्चर और उससे जुड़े सभी सेक्टर का मार्केट वर्ष 2018 में करीब 270 बिलियन डॉलर का रहा। इसलिए वेंचर कैपिटलिस्ट इस सेक्टर में स्टार्टअप की ग्रोथ को पॉजिटिव मान रहे है। यही कारण है कि वर्ष 2018 में इंडियन स्टार्टअप इकोसिस्टम में मौजूद 13 एग्रीटेक स्टार्टअप को करीब 70 मिलियन डॉलर का निवेश मिला, जो कि वर्ष 2017 कर तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। इसलिए एग्रीटेक के जरिए युवा अपने स्टार्टअप ड्रीम को पूरा कर सकते हैं।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2IuSV8q
No comments:
Post a Comment