गलत प्रश्नों व पेपर आउट के विवादों के कारण प्रदेश में सरकारी भर्तियां एक के बाद एक उलझती जा रही हैं। इस कारण युवाओं का नौकरी का सपना भी टूट रहा है। प्रदेश में रीट, पुलिस भर्ती, द्वितीय श्रेणी विशेष शिक्षक, एलडीसी, वन रक्षक सहित अन्य भर्ती उलझी हुई हैं। कई भर्ती तो पांच वर्ष बाद भी धरातल पर नहीं आ रही है। जबकि सरकार प्रश्न पत्रों को एक्सपर्ट सहित अन्य कमेटियों से जांच भी कराती है। इसके बाद भी प्रश्नों के विवाद में भर्तियों के फंसने से परीक्षा एजेंसियों की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ज्यादातर भर्ती परीक्षाओं में तीन से लेकर १५ प्रश्नों का विवाद हुआ है। कई भर्तियों में आखिरकार बोनस अंक भी देने पड़ रहे हैं। इस कारण परिणाम भी प्रभावित हो रहा है। जबकि सरकार ने सुराज संकल्प यात्रा के दौरान भर्ती परीक्षाओं को पारदर्शी तरीके से कराने का दावा किया था। राजस्थान उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संदीप कलवानियां का कहना है कि भर्तियां समय पर पूरी नहीं होने से अभ्यर्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भर्ती एजेंसियों को पहले प्रश्न पत्र का अध्ययन कराना चाहिए, ताकि प्रश्नों के विवाद को लेकर मामला न्यायालय तक नहीं पहुंचे।
रीट परीक्षा 2017
इस भर्ती में करीब 8 लाख अभ्यर्थी प्रभावित हो रहे हैं। पांच प्रश्न व पेपर आउट होने का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जिसके चलते ५४ हजार पदों की तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती नहीं हो पा रही है। इस कारण प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।
पुलिस कांस्टेबल भर्ती
कांस्टेबल भर्ती का मामला भी पेपर आउट होने के कारण कोर्ट में पहुंच गया है। इस भर्ती के लिए इस महीने ही दुबारा परीक्षा हुई है। लेकिन कोटा के एक परीक्षा केंद्र के मामले के कारण परीक्षा विवादों में घिर गई है।
यह भर्ती भी अटकी
वर्ष २०१६ में शुरू हुई ग्रामसेवक भर्ती भी अब तक पूरी नहीं हो सकी। पंचायत सहायक भर्ती अब तक पूरी नहीं हो सकी है। माध्यमिक शिक्षा विभाग की स्कूल लेक्चरर भर्ती २०१५, द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती २०१६, शिक्षक भर्ती २०१५, आरपीएससी की ओर से होने वाली पुलिस सब इंस्पेक्टर भर्ती २०१६, आरएएस भर्ती २०१६, पटवार भर्ती २०१५, जेल प्रेहरी २०१५, जलदाय विभाग में तकनीकी सहित अन्य पदों की भर्ती, कनिष्ठ अभियंता भर्ती २०१६, लिपिक भर्ती २०१७, संस्कृत शिक्षा, आईटी विभाग, भूवैज्ञानिक, वन रक्षक भर्ती भी इन्ही कारणों से विवादों में रही है।
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