एक स्टूडेंट के तौर पर कल्याणी खोना चाहती थी कि वे एक अलग नजरिये से सामाजिक काम करें। रूटीन जॉब का आइडिया उन्हें पसंद नहीं आया। फाइनेंस में अपनी अंडरग्रेजुएट डिग्री लेने के बाद उन्होंने निश क्त लोगों के लिए दुनिया का पहला मैचमेकिंग प्लेटफॉर्म इन्क्लोव बनाया। यह क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म दो साल पुराना है। इसकी ब्रांड वैल्यू चार गुना हो चुकी है। अब इस प्लेटफॉर्म को ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर तक ले जाने की प्लानिंग है। खोना कहती हैं कि दुनिया की 15 फीसदी आबादी निशक्त है। मैं इन लोगों को मुख्यधारा में लाना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि लोग इनक्लोव को याद रखें, मुझे नहीं। खोना की तरह कई युवा अब एक साधारण नौकरी के बजाय जीवन का उद्देश्यपूर्ण काम करना चाहते हैं। इसके लिए वे एंटरप्रेन्योर या एम्प्लॉई दोनों बनने को तैयार हैं। इन युवाओं के लिए पैसा प्राथमिक नहीं है। ये हाई-परफॉर्मर हैं, डिजिटल दुनिया को समझते हैं, लगातार नई चीजें सीखते हैं। जॉब सिक्योरिटी उनकी प्राथमिकता नहीं है।
बदलाव की सोच को महत्व
24 वर्ष के रितेश अग्रवाल ने पांच साल पहले ओयो की स्थापना की। उनके लिए जीवन का उद्देश्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। वे अपने स्टार्टअप के लिए हायङ्क्षरग करते समय कैंडिडेट के जीवन के उद्देश्य पर सबसे ज्यादा फोकस करते हैं। अगर कैंडिडेट समाज में बदलाव लाने की सोच रखता है तो उसे प्राथमिकता दी जाती है। बिजनेस में मिशन-ओरिएंटेड युवाओं को लाने के लिए रितेश हर समय लगे रहते हैं। ओयो के पास 2700 एम्प्लॉइज हैं और इन्हें ओयप्रेन्योर्स कहा जाता है। इसमें 10 सदस्यों की सीएक्सओ टीम भी शामिल है। रितेश कहते हैं कि हमारे प्रोडक्ट्स ओयो टाउनहाउस और ओयो होम को युवा पीढ़ी से ही ऊ र्जा मिलती है। वे कहते हैं कि जब युवा पीढ़ी को सुना जाता है तो अमेजिंग प्रोडक्ट्स बनते हैं।
इनोवेशन पर जोर
राजोरपे की पीपल ऑपरेशन्स की हेड अनुराधा भरत कहती हैं कि युवा एम्प्लॉइज को कंपनी से जोड़े रखना बड़ी चुनौती है। हम लोगों को पैशन के लिए चुनते हैं, पर वे अपने पैशन के लिए कंपनी छोड़ भी देते हैं। ऐसे में अब कंपनी ऐसे युवाओं को स्वीकार कर रही है और उन्हें वह देने की कोशिश कर रही है जो वे चाहते हैं। यह फ्लेक्सिबिलिटी युवाओं को इनोवेशन के लिए प्रेरित करती है। उदाहरण के लिए एड्रिन ब्राउन
िक्लनिकल रिसर्च में मास्टर्स हैं, पर फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी में उनके पास कोई अनुभव नहीं है। अब वे राजोरपे में ऑपरेशन्स व सपोर्ट ग्रुप्स के हेड बन चुके हैं।
टैलेंट का उद्देश्य सहित जीवन
कोटक महिंद्रा बैंक युवा एम्प्लॉइज को एक अवसर की तरह देखती है। जो युवा उद्देश्य पर फोकस करते हैं, वे संस्थान में अलग नजर आते हैं और कंपनी भी उन्हें वरियता देती है। बैंक अपने मैनेजमेंट ट्रेनीज को जोड़े रखने के लिए काफी नजदीक से विश्लेषण करती है। 200 मैनेजमेंट ट्रेनीज को एक कॉर्पोरेट प्रोग्राम से जोड़ा गया है, ताकि उन्हें फ्यूचर लीडर्स बनाया जा सके। सीनियर एग्जीक्यूटिव्स इन ट्रेनीज के साथ सतत संवाद करते हैं ताकि उन्हें बेहतर तरीके से समझा जा सके।
एम्प्लॉइज को कस्टमाइज अटेंशन
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद में संस्थानिक व्यवहार में असोसिएट प्रोफेसर विशाल गुप्ता कहते हैं कि यदि संस्थानों को बेस्ट टैलेंट चाहिए तो उन्हें खुद को री-ओरिएंट करना होगा। किसी भी संस्थान के लिए सबसे बड़ा चैलेंज परफॉर्मेंस आधारित कल्चर का निर्माण करना होता है। कंपनी को अपना ईगो एक तरह रखना चाहिए और युवा पीढ़ी की सोच के अनुरूप काम करने का प्रयास करना चाहिए। कंपनियों को संस्थानिक ढांचों में सुधार करना चाहिए और एम्प्लॉइज को सशक्त बनाना चाहिए। इससे युवा पीढ़ी भी काम के उद्देश्य का समय रहते पता लगा पाएगी और कंपनी से जुड़ी रहेगी।
बिजनेस मैटर्स में उद्देश्यपूर्ण सोच
श्नाइडर इलेक्ट्रिक ने छह महीने पहले अपने युवा एम्प्लॉइज के लिए एक साउंडिंग बोर्ड लॉन्च किया। इसमें इंडिया मैनेजिंग डायरेक्टर और सबसे जूनियर एम्प्लॉइज भी शामिल हैं। इससे लीडरशिप और भविष्य के लीडर्स के बीच में एक मजबूत संबंध स्थापित हुआ है। यह युवा टैलेंट को अपनी सोच को साझा करने के लिए अच्छा मंच है। इससे युवाओं की सोच के बारे में पता लग पाता है।
युवा इच्छाओं का सम्मान
सैमसंग अपनी युवा वर्कफोर्स को स्वेच्छा से ऐसा काम करने की इजाजत देती है, जिसमें एम्प्लॉइज भरोसा रखते हैं। कंपनी युवा वर्कफोर्स को अपना पैशन खोजने में भी मदद करती है। युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर वर्कप्लेस पर एक जिम भी तैयार करवाई गई है, ताकि वे फिटनेस पर भी पूरा ध्यान दे सकें।
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