Monday, February 15, 2021

अप्रैल से घट जाएगी आपकी सैलरी, सरकार ने दी फैसले को मंजूरी

नई दिल्ली। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने चार लेबर कोड के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। इन कोड को पहले ही राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करने के बाद अधिसूचित किया जा चुका है। नए वेज कोड के 1 अप्रेल, 2021 से लागू होने की संभावना है। नए वेज कोड के लागू होने से टेक होम सैलरी घट जाएगी। संसद ने वेज कोड को 2019 में पारित किया था, जबकि अन्य तीन कोड्स को दोनों सदनों से 2020 में मंजूरी मिली। इन नियमों को बनाने के बाद अब चारों को कोड को एक साथ अधिसूचित किया जा सकता है।

कई श्रम कानून शामिल: कर्मचारियों के नौकरी से रिटायर होने के लाभ को बढ़ाने के लिए सरकार ने पिछले साल संसद में कोड ऑन वेज बिल 2019 (मजदूरी विधेयक पर संहिता) को पास कराया था। इसमें न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, मजदूरी भुगतान अधिनियम, बोनस भुगतान अधिनियम और समान पारिश्रमिक अधिनियम जैसे श्रम कानून शामिल हैं।

50 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा-
ग्रेच्युटी और भविष्य निधि का योगदान कर्मचारियों के कुल वेतन का कम से कम 50 प्रतिशत होना चाहिए। इस नियम का पालन करने के लिए नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों के मूल वेतन को 50 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा। इसका मतलब यह होगा कि कर्मचारियों के इन हैंड वेतन में कटौती हो सकती है। हालांकि इस नियम के लागू होने के बाद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर पहले की तुलना में अधिक लाभ मिल सकेगा।

प्रावधानों में यह भी शामिल -
4 कोड के मसौदा नियमों पर परामर्श की प्रक्रिया पूरी।
50 प्रतिशत होनी चाहिए ग्रेच्युटी और भविष्य निधि ।
वर्किंग आवर्स को 12 घंटे तक किए जाने का प्रस्ताव है।

कई श्रम कानून शामिल: कर्मचारियों के नौकरी से रिटायर होने के लाभ को बढ़ाने के लिए सरकार ने पिछले साल संसद में कोड ऑन वेज बिल 2019 (मजदूरी विधेयक पर संहिता) को पास कराया था। इसमें न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, मजदूरी भुगतान अधिनियम, बोनस भुगतान अधिनियम और समान पारिश्रमिक अधिनियम जैसे श्रम कानून शामिल हैं।

नए लेबर कोड की खास बातें -
अगर कर्मचारी किसी दिन 8 घंटे से ज्यादा या फिर सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम करता है, तो उसे ओवरटाइम का मेहनताना सामान्य सैलरी से दोगुना मिलेगा। नए लेबर कोड के ड्राफ्ट में कर्मचारियों के वर्किंग आवर्स को दिन में 12 घंटे तक किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। इससे पहले यह अवधि 9 घंटे की थी और इसमें एक घंटे का रेस्ट भी शामिल था।
ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस के नाम से तैयार कोड में सरकार ने कंपनियों को एक दिन में 12 घंटे तक वर्किंग आवर्स रखने की छूट देने की बात कही है।
ओवरटाइम के कैलकुलेशन को लेकर भी नियम तय किया गया है। अगर कोई कर्मचारी 15 से 30 मिनट तक काम करता है, तो उसे पूरे 30 मिनट के तौर पर काउंट किया जाएगा।



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